Shivaji Mahavidyalaya, Renapur

Affiliated to Swami Ramanand Teerth Marathwada University Nanded
Taluka : Renapur, Dist Latur. Pin: 413527, Maharashtra.

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महाविद्यालय की स्थापना 1993 में हुई | ठीक उसी समय हिंदी विभाग भी खोला गया | राजभाषा हिंदी के अध्ययन को स्नातक स्तर पर शुरुआत हुई | राजभाषा से जुडना एक अर्थ में “राष्ट्र” से जुडना होता है|

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने राजभाषा हिंदी के बारे में कहा था “बिना राष्ट्रभाषा के राष्ट्र गूंगा होता है”| प्रस्तुत उक्तिके अनुसार राष्ट्रीय चेतना को व्यक्त करने वाली भाषा हिंदी रही हैं| वर्तमान काल में प्रस्तुत भाषा के अध्ययन की नित नई संभावानाएँ खुल रही हैं| भूमंडलीकरण, निजीकरण, उदारीकरण के चलते भाषा की स्थिति और गति नये सिरे से परिभाषित करने का समय आ गया हैं| हिंदी केवल भारत की ही नहीं दुनिया की संपर्क भाषा, रोजगार की भाषा, दुनिया के मनुष्यों को जोडनेवाली भाषा बनती जा रही हैं| हिंदी अपने समय, समाज और मानव सभ्यता की आवश्यकताओं के अनुसार ढल रही हैं| वर्तमान में प्रयोजनमूलक हिंदी, प्रौद्योगिकी की हिंदी, संगणक की हिंदी, मीडिया की हिंदी, प्रशासन की हिंदी तथा रोजगारपरक हिंदी आदि रूप में विकसित हुई हैं| जीवन के विविध क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ हिंदी भाषा ने भी खुद को युग की मांग के अनुसार विकसित किया है|दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में आज हिंदी पढ़ाई जा रही है| भाषा का बाज़ारीकरण जरूर हुआ है किंतु हिंदी बाजार की जरुरतों की पूर्ती हिंदी कर रही है|

विभाग में पूर्णकालिक रूप में दो अध्यापक कार्यरत हैं| इनमे से डॉ.सतीश यादव प्राध्यापक के रूप में तथा हिंदी विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं| डॉ.अर्जुन कसबे सहयोगी प्राध्यापक के रूप में में कार्यरत हैं| दोनों स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाडा विश्वविद्यालय, नांदेड के हिंदी शोध निर्देशक के रूप में कार्यरत हैं| डॉ.सतीश यादव के शोध निर्देशन में आठ विद्यार्थियों ने पीएच.डी. उपाधि हेतु पंजीकरण किया है जिसमे से छह विद्यार्थियों को पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त हुई हैं| डॉ.अर्जुन कसबे के शोध निर्देशन में दो विद्यार्थियों ने पीएच.डी. उपाधि हेतु पंजीकरण किया हैंजिसमे से एक विद्यार्थी को पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त हुई हैं | विशेष उल्लेखनीय बात यह है की दोनों को यू.जी.सी. ने बृहत शोध परियोजना के अंतर्गत मंजूरी मिली हैं| डॉ सतीश यादव “अज्ञेय और मर्ढेकर के साहित्य का आधुनिकता के संदर्भ में तुलनात्मक अध्ययन” विषय के अंतर्गत कार्य कर रहे हैं| जिन्हें यू.जी.सी. ने रू. 3,23,000/- की धनराशि आबंटित की है| डॉ अर्जुन कसबे “हिंदी उपन्यासों में चित्रित आदिवासी जनजीवन” विषय के अंतर्गत बृहत शोध परियोजना के तहत कार्य कर रहे हैं| उन्हें यू.जी.सी. ने रू. 4,25,000/- की धनराशि आबंटित की है| यह विभाग की महती उपलब्धि है|

डॉ.सतीश यादव विश्वविद्यालय के हिंदी अध्ययन मंडल के सदस्य के रूप में विगत 10 वर्षों से कार्यरत हैं| वे इसी महाविद्यालय में पूर्णकालिक प्राचार्य के रूप में दि.07-01-2008 से 15-10-2010 तक कार्यरत थे| वे तीन बार कार्यवाहक प्राचार्य के रूप में भी कार्यरत रहे हैं| डॉ सतीश यादव साहित्य, समाज, कला और संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत ‘लातूर जिला हिंदी साहित्य परिषद, लातूर’ के अध्यक्ष के रूप में विद्यमान हैं| संत कबीर प्रतिष्ठान, लातूर की कार्यसमिति के सदस्य रूप में भी जुडे हुए हैं| उन्हीं के नेतुत्व में परिषद ने कार्यशाला, संगोष्ठी, नाट्यमंचन तथा भवन निर्माण जैसे कार्य पूर्ण किये हैं| डॉ. अर्जुन कसबे भी लातूर जिला हिंदी साहित्य परिषद, लातूर के आजीव सदस्य हैंऔर कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में कार्य कर चुके हैं| संत कबीर प्रतिष्ठान, लातूर की कार्यसमिति के आजीव सदस्य के रूप में भी जुड़े हुए हैं| हिंदी विभाग निरंतर विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति का मंच देने हेतु प्रतिबद्ध है| विशेषतः “कालजयी” मुखपत्र विभाग की ओर से निरंतर चलाया  जाता है| विभाग के इस मुखपत्र में छात्र-छात्राएँ अपनी अभिव्याक्तियाँ देते रहते हैं| विभाग की ओर से सन 2017 में ‘ग.मा. मुक्तिबोध की जन्मशती के अवसर पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी’ का आयोजन किया गया|       अंततः इतना ही कहा जा सकता है कि, हिंदी विभाग हिंदी भाषा, साहित्य, समाज और संस्कृति का परिचय ही नहीं उन्हें गहरे रूप में विद्यार्थियों को जोड़ने हेतु प्रयत्नरत हैं| वैश्विक मनुष्यों के वेदना से विद्यार्थियों को अवगत करते हुएउन्हें बेहतर मनुष्य बनाने की दिशा में विभाग पहल कर रहा है| भाषिक कौशल विकास एवं विद्यार्थियों को रोजगारपरकता से हिंदी से जोड़ते हुए संवेदनशीलता के फैलाव में महती भूमिका निभा रहा है| गज़लकार हनुमंत नायडू ने ठीक ही लिखा है-

“सामने खड़ी हो जब नंगी सदी, सभ्यता का हर दिखावा व्यर्थ है,

आदमी के दर्द को समझे बिना आदमी होने का दावा व्यर्थ है|”

अ.क्र. Photo  अध्यापकों का नाम शैक्षिक योग्यता  पद अनुभव Biodata
१. प्रो.(डॉ.) सतीश वसंतराव यादव एम.ए.,पीएच.डी.  प्राध्यापक 26 वर्ष Biodata
२. डॉ. अर्जुन शंकरराव कसबे एम.ए.,पीएच.डी. सहयोगी प्राध्यापक 26 वर्ष Biodata

 

 

Department Profile : Hindi                                                                                                                                                                                                                                                            

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